नेकी का फल वापस पलट कर जरूर आती है | Happy Life Tips | Help to others.

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दूसरों की भलाई करने से बड़ा पूण्य कुछ भी नहीं हैं, जब आप किसी के भलाई करते है तो उसका हृदय और अंतरात्मा प्रसन्न हो जाती हैं. इससे वो आपको दुआएं देता है और आप अपने जीवन सुख-समृद्धि और शान्ति प्राप्त करते हैं। 

"संसार का सबसे बड़ा धनवान वही होता है जो नेक और रहमदिल होता है."

यह सच्ची कहानी सन 1887 में स्कॉटलैंड की है। एक किसान था जिसका नाम फ्लेमिंग था। एक दिन वह किसानी कर रहा था तभी किसी बच्चे के रोने की आवाज आई । जब फेमिंग ने वहा जाकर देखा तो पाया किसी बच्चा दलदल में फस गया था। उस किसान ने उसे अपनी जान जोखिम में डालकर बचा लिया। कुछ ही देर बाद वहा ढूंढते हुए उसके पिता एक बड़ी सी कार में आए। उस बच्चे का पिता उस जमाने के बहुत धनी व्यक्ति थे जिनका नाम था चर्चिल। अपने बेटे को सही सलामत देख उनकी खुशी का ठिकाना ही नहीं था। उन्होंने उस किसान को बोला आपने मेरे बच्चे की जान बचाई जिसके बदले मैं आपको इनाम देना चाहता हूं। मांगिए आपको क्या चाहिए। इस पर किसान ने कहा यह तो मानवता का काम था आपके बच्चे के जान बचाने के बदले मुझे कुछ भी नही चाहिए। लेकिन फिर भी उस धनवान व्यक्ति ने कहा नही नही मैं आपके लिए कुछ करना चाहता हूं।

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तभी पास के एक झोपड़ी से एक बच्चे को निकलते हुए चर्चिल ने देखा तो किसान से पूछा की क्या यह आपका बच्चा है ? तो किसान ने जवाब में हां कहा। फिर उस धनी व्यक्ति ने किसान से कहा जहां मेरा बच्चा पढ़ेगा वही आपका बच्चा भी पढ़ेगा।

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उसके बाद उन दोनो बच्चो ने संत मैरिज मेडिकल कॉलेज जो की लंदन का बेस्ट मेडिकल कॉलेज था वहा से पढ़ाई पूरी की। जिसके बाद उस किसान के बच्चे ने दुनिया का पहला एंटीबायोटिक की खोज किया जिसका नाम पेंसिलिन  एंटीबायोटिक था जो निमोनिया बीमारी में कारगर थी। आप जानते है वह खोजकर्ता कौन था, वह अलेक्जेंडर फ्लेमिंग था उसी गरीब किसान का लड़का। 

अब देखिए नेकी कैसे पलट कर अच्छाई करने आती है। उन दिनों उस धनी व्यक्ति का बेटा निमोनिया की बीमारी से पीड़ित था और उसकी अंतिम अवस्था चल रही थी लेकिन पेंसिलिन की खोज ने उसके लड़के की जान बचा दी , जिसके बाद वह लड़का यूके का दो बार प्रधानमंत्री बना, जिसका नाम था बिस्तेन चर्चिल। तो दोस्तों भलाई पलट पलट कर किसी न किसी तरह से आती रहती है।

अलेक्जेंडर फ्लेमिंग को वर्ष 1945 में मेडिसिन का  नोबेल दिया गया और बोला गया की अगर आप इस एंटीबायोटिक को पेटेंट करा लेते है तो आपको करोड़ों डॉलर मिलेंगे, लेकिन अलेक्जेंडर फ्लेमिंग ने मना कर दिया। इसी के कारण सेकंड वर्ल्ड वार के टाइम में लाखो सिपाहियो की जान बचाई गई थी जो निमोनिया के शिकार हुए थे। 

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याद रखिएगा कि - जिन्दगी भर कमाई गयी पूंजी खत्म हो सकती है मगर किसी की मदद से मिली दुआएं कभी खत्म नही होती हैं. और जो व्यक्ति दूसरो की भलाई चाहता है वह उसी समय अपनी भलाई भी सुनिश्चित कर लेता है।

दोस्तों किसी ने सच कहा है कि  नेकी का फल इंसान को अवश्य मिलता है| 

इसलिए दोस्तों नेकी यानी भलाई करते रहिए वह पलट कर आपके पास किसी न किसी रूप में आती रहेगी article अच्छा लगे तो शेयर करें।


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