कुछ कर गुजरने के लिए कोई उम्र नहीं होती | Success Motivation | Success Story

कहते है कि जीवन में सीखने या कुछ कर गुजरने के लिए कोई उम्र नहीं होती । जब कोई व्यक्ति कुछ सीखने या करने की ठान ले तो उसके सामने उम्र कोई मायने नहीं रखती है। जी हां दोस्तों आज के इस आर्टिकल में ऐसे ही एक सक्स के बारे में बताने जा रहा ही अभी हाल ही में ये साबित कर दिया है की वास्तव में जुनून और जज्बा (hard work) के सामने उम्र की कोई अहमियत नहीं।

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 Success Motivation | Success Story

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कभी कभी आप प्रयास करते करते या फिर असफलता के चलते या अपने घर की परिस्थितियों के कारण किसी काम को पूरा नहीं कर पाते। लेकिन आगे चलकर आप के लिए परिस्थितियां जब सामान्य हो जाए और आप को लगे की इस काम को मैं पूरा कर सकता हूं तो वहा पर आपको अपने उम्र को लेकर कोई भी शंका या निराशा हो तो ये आर्टिकल आपके लिए है। इस आर्टिकल को पढ़कर आपको लगेगा कि वास्तव में किसी सक्सेस (success) और जुनून के आगे उम्र की कोई जरूरत नहीं।

शायद इस आर्टिकल को पढ़कर आपके अंदर भी कुछ करने की इच्छा जाहिर होगी और आपको लगेगा कि हां कुछ करने और पाने की कोई उम्र नहीं होती है। सिर्फ और सिर्फ जरूरत होती है एक मजबूत शुरूआत और जज्बे की।

कहानी 52 वर्षीय स्टूडेंट की

कुछ ऐसी ही मजबूत शुरूआत और जज्बे के साथ गुजरात के बोडकदेव के 52 वर्षीय एक business man ने NEET की परीक्षा में अपनी कामयाबी (success) का परचम लहराया है। आपको बता दें कि वो तीस साल पहले अपनी पढ़ाई छोड़ चुके थे। पर उनकी इच्छा थी कि NEET की परीक्षा पास करके वो गरीब बच्चों को निःशुल्क कोचिंग (free coaching) दें। पढ़ाकर उन्हें डॉक्टर्स बनाएं। ताकि उनके सपने (dream) सच हो सकें। फिर क्या था, कमर कसी और मेहनत (hard work) करने में लग गए और फिर उन्होंने NEET की परीक्षा में सफल (success) भी हो गए।

उस व्यक्ति के बारे में आपको अवगत कराना चाहूंगा । वह है गुजरात के प्रदीप कुमार सिंह जिन्होंने NEET में 720 में से 607 अंक हासिल किए हैं। इस सफलता (success) प्राप्त करने के बाद मीडिया से प्रदीप कुमार सिंह ने कहा कि-

 "52 साल की उम्र में मैंने 98.98 पर्सेंटाइल हासिल किया है। मेरा मेडिकल कॉलेज (mrdical collage) में शामिल होने का कोई सपना नहीं है, लेकिन मैं गरीब छात्रों के लिए एक नि:शुल्क NEET कोचिंग सेंटर शुरू करना चाहता हूं।" 

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कैसे किया शुरुआत

जब प्रदीप कुमार के बेटे ने वर्ष 2019 में NEET के लिए आवेदन किया था, तो तैयारी शुरू की। उन्होंने अपने लड़के का सहयोग किया। इसी दौरान फिर उनका भी रुझान NEET की तरफ बढ़ा। जब उन्हें पता चला कि कोचिंग संस्थान (coaching institute) मोटी फीस लेते हैं, और इस व्यवस्था ने गरीब उम्मीदवारों (poor candidates) को NEET के सफर से बाहर कर दिया है। और इसी समस्या समाधान के लिए प्रदीप कुमार सिंह और उनके बेटे ने एक योजना बनाई। फिर जुट गए अपने योजना को साकार करने में।

प्रदीप कुमार का बेटा जीव विज्ञान (biology) में अच्छा है, जबकि प्रदीप खुद भौतिकी (physics) और रसायन विज्ञान (chemistry) में अच्छा है। फिर इन दोनों विषयों को निःशुल्क में पढ़ाने का फैसला लिया है। वर्तमान में दोनो लोग घर पर कुछ छात्रों को पढ़ाते हैं, इन छात्रों के माता-पिता मनरेगा मजदूर के रूप में काम करते हैं।

हालांकि, इस तरह के पढ़ाने में खुद में एक विश्वास की कमी थी कि खुद परीक्षा दिए बिना दूसरों को कैसे पढ़ा सकता था? तो फिर प्रदीप कुमार ने पहले NEET की परीक्षा को पास किया जिससे अब वो विश्वास भी आ गया है।

अंत में

गुजरात के प्रदीप कुमार की दास्तान (motivational story) सुनकर समझ ही गए होंगे कि उन्होंने साबित कर दिया कि वास्तव में कुछ करने के लिए या किसी परीक्षा को पास करने के लिए कोई उम्र मायने नहीं रखती या उम्र बाधा नहीं बन सकती है। अगर आपके अंदर भी अपने ज्यादा उम्र को लेकर दिमाग में कुछ चल रहा है तो उसे त्याग कर आगे बढ़े और एक इतिहास अपने नाम करवाए।

दोस्तों आशा करता हूं ये प्रदीप कुमार सिंह की मोटिवेशन स्टोरी (motivational story) आपको जरूर पसंद आई होगी। ये आपको जरूर प्रेरणादायक लगी होगी। इसे शेयर और मुझे कमेंट्स जरूर करें। इसी प्रकार के मोटिवेशनल आर्टिकल पढ़ने के लिए मेरे वेबसाइट www.jeenasikhomotivation.com से जुड़े रहे।

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