आज लगभग हर इंसान के रिश्तों में दरार आ चुकी है। लोगो के पास सब कुछ तो है लेकिन उनके रिश्ते (Relations) आपस में मजबूत नही है। क्योंकि सब कुछ तो हासिल करना सीख गए लेकिन रिश्ते निभाने अभी भी नही सिख पाए।
रिश्ते चाहे मां बाप का हो, भाई बहन का हो, पति पत्नी का हो, या फिर रिश्ता (Relations) चाहे कोई भी हो लेकिन आज भी निभाना नही सिख पाए।
आखिर रिश्ते निभाना कब सीखेंगे।
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हमने बड़ा होना, पढ़ना लिखना तो सीख लिया लेकिन आखिर रिश्तें निभाना कब सीखेंगे।
- दुनिया के तरह तरह के लोगो से भी मिल लिए ,
- अच्छी सोसाइटी और बड़े लोगो के साथ बैठ चुके,
- मोटी मोटी किताबे पढ़ चुके, ढेरो डिग्रियां भी ले चुके,
- कहानियां और उपन्यास भी पढ़ चुके
- मोटिवेशन लेक्चर और वीडियो भी देख चुके
- लेकिन आखिर रिश्तें (Relations) निभाना कब सीखेंगे।
- पढ़ लिख कर नौकरी और बिजनेसमैन भी बन चुके
- खूब पैसे भी कमा रहे है
- बड़ा बंगला बनवा लिए और बड़ी गाड़ी भी ले चुके
- सूट बूट पहनना और टाई भी बांधना सिख लिए
- तरह तरह की भाषाएं बोलना भी सिख लिए
लेकिन फिर भी अपने रिश्ते ठीक से निभाना नही सीख पाए। आखिर रिश्ते (Relations) बनाना कब सीखेंगे।
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दोस्तों आज हम जितनी ही उपलब्धियों के पास आते है , अपने रिश्तों (Relations) के बीच उतने ही फासले बनाते चले जाते है। सब कुछ पा जाने की खुशी तो मिल जाती है लेकिन अपनो के दिलों से दूर हो जाने से जिंदगी का सुकून छीन जाने लगता है। यहां मैं यह नहीं कहता की आप उपलब्धि न हासिल करें। बल्कि उसके साथ साथ अपने रिश्तों निभाना भी न भूले। क्योंकि सफलता (Success) के साथ खुशी (Happiness) बाटने वाला भी साथ होना चाहिए।
अगर इन सब उपलब्धियों के बावजूद आप अपने रिश्ते अच्छे से नहीं निभा पाते तो फिर अनपढ़ ही रहना ठीक है क्योंकि अक्सर अनपढ़ लोग बहुत अच्छे से अपने रिश्तों को निभा लेते है।
कभी कभी हम सिर्फ एक रिश्ते (Relations) ही निभाने में लगे होते है जिसके चलते हमारे दूसरे रिश्तों में इतनी दूरी हो जाती है की अंत में वो टूट ही जाते है।
रिश्ते (Relations) निभाते समय कुछ बाते अनदेखी भी करनी पड़ती है। कुछ बातो को भूलना भीं पड़ता है। और कुछ बातों को अच्छे से समझना पड़ता है, क्योंकि कभी कभी सिर्फ नासमझी की वजह से किसी अच्छी बात का भी गलत अर्थ निकाल कर अपने रिश्तों में दरार पैदा कर बैठते है।
रिश्ते (Relations) निभाते समय सिर्फ अपना ही फायदा नही देखना पड़ता है बल्कि रिश्तो की मजबूती के लिए कुछ नुकसान भी उठाना पड़ता है। रिश्ते (Relations) निभाते समय दिमाग का नही बल्कि दिल की सुननी पड़ती है। रिश्तों में इमोशन होना चाहिए।
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- क्या हुआ जो आज हम बहुत ऊंचाई पर पहुंच गए,
- क्या हुआ जो मॉर्डन जमाना आ गया
- क्या हुआ जो लाइफ बहुत फास्ट हो गई
- समय और रिश्ते वही है जो पहले हुआ करते थे
- बस हमने उसे समझने का नजरिया बदल लिया
- आज हम अपने रिश्ते निभाने से भागने लगे
- हम अपने रिश्तों की जरूरत को अनदेखा करने लगे
- हम एक दूसरे की भावनाओ को समझना नही चाहते
- उनका ख्याल न करके सिर्फ अपने ही बारे में सोचने लगे
- नतीजा रिश्ते दूर होते चले गए और रिश्ता निभाना हम पीछे छोड़ आए।
- हमे अपने रिश्तों को निभाने के लिए फिर से पुरानी सभ्यता की तरह अपनों को समय देना होगा
- अपनी की भावनाओ को महसूस करना होगा।।
- मतलबी भावना से बाहर निकलना होगा।।
- अपनी ego को साइड में रखना होगा।।
- मनमुटाव और मिसंडरस्टैंडि को बैठ कर सुलझाना होगा।।
- उनकी जरूरत को समझना होगा।।
- अपने नजरिए को फिर से पॉजिटिव में बदलना होगा।।
याद रखिए अगर आपके अपनो के बीच रिश्ते ठीक नही होंगे तो फिर सब कुछ रहने के बावजूद भी सुकून नही रहेगा। और यदि जिंदगी में सुकून चाहिए तो रिश्ते (Relations) निभाना सीखना होगा।
अंत में सिर्फ इतना ही कहूंगा कि
मीठा बोलो , मिल के चलो सबसे करो स्नेह
कितने दिन का जीवन है और कितने दिन का देह
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Why is a relation important? / What are the
most important relationships in your life? / What is the point of
relationships? / What is the importance of having a meaningful relationship to
you? / importance of positive relationships / importance of relationship in
family system / importance of healthy relationships / why relationships are
important to human beings
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