इस संसार में हर रिश्ता अनोखा होता है। एक सच्चा और मजबूत रिश्ता हमेशा आपको लंबी, स्वस्थ और सुखी जिंदगी जीने में मदद करता हैं। लेकिन वहीं एक झूठा और मतलबी रिश्ता आपको हमेशा दर्द देता रहेगा। सबसे अच्छा रिश्ता वो होता है जिसमें लोग एक दूसरे की इज्जत करें, मतलबी न हो, लालची न हो, पैसे को रिश्ते से ऊपर रखकर न देखे, दिल में कपट न रखे, सिर्फ अपना हो लाभ न देखे बल्कि अच्छे दोस्त की तरह रहते हैं।
अगर कोई आपके साथ रिश्ता नहीं रहना चाहता तो खुद को उसकी जिंदगी से दूर कर लो, क्योंकि वक़्त खुद ही सिखा देगा उसे रिश्ते की कदर करना। कुछ ऐसे रिश्ते होते है जिन्हे छोड़ देने में ही भलाई होती है। ऐसे रिश्ते को छोड़ देने से आप हमेशा खुश रहेंगे।
• जहां आपकी इज्जत न हो
किसी भी रिश्ते की पहली शर्त इज्जत होती है। इसलिए जो इज्जत नहीं दे सकते वो रिश्ते नहीं निभा सकते है। ऐसे
रिश्तों की फिक्र करना छोड़ दे, क्योंकि जिसे जितना आपका साथ निभाना था, वो सिर्फ उतना ही साथ निभाएगा। याद रखिए कि-
"रिश्ता कोई भी हो बेकार है, जब तक इज्जत और यकीन ना हो।"
"जहां इज्जत ना मिले वहा रहना छोड़ दो, चाहे वो किसी का घर का हो या किसीका दिल।"
"जिंदगी में आये हो तो हर चीज करना, पर भूलकर भी कभी अपनी इज़्ज़त मत गवाना।"
इसलिए रिश्ता चाहे कैसा भी हो बस रिश्ते में इज्जत होनी चाहिए, फिर आपको ये सोचने की जरुरत नहीं पड़ेगी की रिश्ते कैसे निभाए जाएं।
• जहां रुपया को अहमियत दें
आजकल के युग में रुपया-पैसा सबसे अहम हो चला है। अब रिश्ते उन्हीं से बनते हैं जिनके पास रुपया पैसा है। अब गरीब रिश्तेदार या मिडिल क्लास के रिश्तेदारों की अहमियत कम हो चली है। रिश्तों को पैसों से न तौलें। कठिन समय में आपके रिश्तेदार ही आपके साथ खड़े होते हैं। किसी भी रिश्ते की मजबूती के लिए जरूरी होता है आपसी प्यार और विश्वास। जबकि पैसा आपसी प्यार और विश्वास पर हमेशा ही चोट करता है।
प्रसिद्ध मनोचिकित्सक भी कहते हैं, ‘‘पैसों को ज्यादा अहमियत देना रिश्तों में दूरी की वजह बनता है। किसी व्यक्ति के लिए पैसा ज्यादा अहमियत रखता है या रिश्ता? ये उसकी मानसिकता को दर्शाता है। हां, इस में कोई दो राय नहीं कि जो व्यक्ति सिर्फ पैसे को अहमियत देता है उसका रिश्ते निभाने और समाज को देखने का नजरिया बिलकुल ही बदल जाता है।’’ इसलिए रिश्तों के बीच धन-संपत्ति को न आने दें।
• जहां दिल के बजाय दिमाग से निभाएं रिश्ता
वर्तमान युग में अब रिश्ते दिल की बजाय दिमाग से निभाए जा रहे हैं। जब से रिश्तों को दिमाग से निभाया जाने लगा है, तब से किसी भी रिश्ते का महत्व भी धीरे-धीरे खत्म होने लगा है। संयुक्त परिवार तो टूट ही गए अब परिवार भी टूट रहे हैं। सब कुछ बिखर रहा है।
"रिश्तों को एक बार दिल से निभाने का प्रयास करें फिर देंखे कि आपके प्रति लोगों का व्यवहार कैसे बदलता है।"
• जहां लालच हो
लालच इंसान को इंसान नहीं रहने देता है। धन दौलत का लोभ उसे कुछ भी करने के लिए विवश कर देता है। ऐसे व्यक्ति के लिए फिर रिश्तों की भी खास अहमियत नहीं होती है। ये लोग सिर्फ समाज को दिखाने के लिए रिश्ते निभाते है। लेकिन ऐसे लोग ये नही जानते है कि लालच कितना विनाशकारी है जो आगे चलकर सब कुछ नष्ट कर देता है। याद रखिए कि
"लालच एक छोटे मुंह के साथ एक मोटा दानव है ,
और आप इसे जो भी खिलाते हैं वह कभी भी पर्याप्त नहीं होता है।"
"जब इंसान के अंदर लालच का जन्म हो जाता है,
तो उसके सुख और संतुष्टि को बहुत ही जल्द खत्म कर देता हैं।"
"ऐसे व्यक्तियों से रिश्ते रखने से कोई फायदा नही,
ये आए दिन आपको सिर्फ परेशानियां और गम ही देते रहेंगे।"
• जहां छल-कपट हो
किसी भी रिश्ते की बुनियाद ईमानदारी पर टिकी होती है। लेकिन जब रिश्ते में छल कपट अपना स्थान लेने लगे तो फिर ऐसे रिश्तों से दूरी बना लेने में ही समझदारी होती है। वरना आपको आए दिन दुख ही देते रहेंगे। रिश्ते सिर्फ विनम्रता और ईमानदारी से ही निभाना चाहिए। छल-कपट करेंगे तो फिर रिश्ता टिक नहीं पाएगा, बल्कि टूट जायेगा। याद रखिए -
"बहुत नम्रता चाहिए, कोई भी रिश्ते निभाने के लिए, छल कपट में तो सिर्फ महाभारत रची जाती है।"
• जहां रिश्ते में विश्वास न हो
किसी के भी जिन्दगी में विश्वास बड़ा ही मूल्यवान होता हैं इसके बिना किसी भी रिश्तें की कल्पना भी नही की जा सकती हैं। विश्वास की वजह से ही समाज में खूबसूरत रिश्तें कायम रहते हैं। जो सभी इंसान के जीवन को ख़ुशी और आनन्द से भर देते हैं। लेकिन अगर रिश्ते में विश्वास नहीं तो फिर ऐसा रिश्ता बहुत ही दुखदाई होता है। यदि आपको सामने वाले पर विश्वास नहीं या फिर सामने वाले को आप पर विश्वास नहीं तो काहे की रिश्तेदारी और काहे के रिश्तेदार। ऐसे रिश्ते और रिश्तेदारों से हमेशा दूरी बनाकर रहना ही आपके लिए अच्छा रहेगा।
• जहां रिश्ते की परवाह न हो
रिश्तों में एक दूसरे की परवाह करना, उनका ख्याल रखना, किसी बुरे स्थिति में मदद करना होता है। न कि ऐसी स्थिति में फायदा उठाया जाए। किसी की मजबूरी का फायदा नहीं उठाया जाए। अगर ऐसा होता है तो वो रिश्ता निभाने लायक नही होगा।
याद रखिए कि-
"गुस्सा होने के बाद भी एक दूसरे की परवाह करना, यही तो सच्चे रिश्ते की निशानी होती है। "
और
"अक्सर वही रिश्ते टूट जाते है, जिन्हें संभालने की कोशिश कोई एक करता है।"
संक्षेप -
अपने रिश्तों को बचाइए, क्योंकि आज इंसान इतना अकेला हो गया है कि कोई फोटो लेने वाला भी नहीं, सेल्फी लेनी पड़ती है, जिसे लोग फैशन कहते हैं।
"कुछ रिश्ते अजीब होते है, जोड़े भी नहीं जाते और तोड़े भी नहीं जाते।"
"रिश्ता जो भी हों, मजबूत होना चाहिए मजबूर नहीं।"
दोस्तों आजकल कैंसर जैसी बीमारी का भी इलाज है लेकिन टूटते हुए रिश्तों का कोई इलाज नहीं है। अगर कोई आपके साथ रिश्ते में खुश नहीं तो उसे अलविदा कहे दें क्योंकि आधे अधूरे रिश्ते न जीने देते हैं न मरने देते हैं।
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