"संदेह में दौड़ने से बेहतर होगा आत्मविश्वास के साथ पैदल चलना।"
जब कोई बड़ा काम आपके सामने आ जाए जिस पर आपका वश न हो, तो ऐसे में आपके मन में उसे पूरा न कर पाने का भय सताने लगता है। जिसे हम संदेह कहते हैं। यह हमारी सोची हुई सफलता (success) की राह में आने वाला सबसे बड़ा बैरियर या बाधा होता है। अन्य सभी प्रकार के भय पैदा करने वाले मनोविकार का यह बॉस माना गया है। आत्मविश्वास (self confidence) एवं आत्मशक्ति को कम करने वाला यह मनोविकार संदेह और आशंकाओं से ही पैदा होता है।
Success Motivation | Life Motivation |
किसी भी कार्य में सफलता (success) प्राप्त करने के लिए दृढ़ निश्चय, आत्मविश्वास (self confidence), अथक परिश्रम का होना आवश्यक है। कभी किसी अनचाहे कार्य के अचानक आ जाने पर व्यक्ति भयभीत हो जाता है। उसे सफलता (success) दूर जाती दिखलाई देती है। यह एक चुनौती भरा समय होता है। अधिकांश लोग इस विषम परिस्थिति में ज्यादा भय या संदेह के कारण अपना आत्मविश्वास (self confidence) खो बैठते हैं। और उस काम को करने में असफल हो जाते है।
लगन, निष्ठा, समर्पण, दूरदर्शिता समाप्त हो जाने पर निराशा, हताशा, कुंठा, दुख, अवसाद के भाव पैदा होने लगते हैं। यह अप्रत्याशित भय या आशंका वास्तव में एक चुनौती होती है। यह व्यक्ति को धैर्य, साहस, आत्मसंयम, दूरदृष्टि जैसे अन्तनिर्हित गुणों को बनाए रखने के लिए प्रेरित करती है।
'हमेशा संदेह करने वाले व्यक्ति के लिए प्रसन्नता न इस लोक में है और न ही कहीं और। '
कोई गलती करना, जीवन के इम्तहान में फेल होना नहीं, बल्कि सफलता (success) की दिशा में एक कदम आगे बढ़ाना होता है। गलती न करने का अर्थ है कि सफलता (success) में कुछ संदेह है। अगर संदेह या डर लगे तो डरें नहीं बल्कि सबक लें और आगें बढें।
जीवन की बहुत सी समस्याओं को सुलझाने के लिए जरूरी है, कुछ गलतियां करना। इसका कारण यह है कि, बहुत से लोग प्रयास करने से ही घबरा जाते हैं, क्योंकि उन्हें भय होता है कि वे गलती कर बैठेंगे। जबकि मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि गलतियां सफलता (success) की दिशा में जरूरी फीडबैक हैं। केवल गलतियों के जरिए ही व्यक्ति जान पाता है कि आगे वह कैसे और बेहतर कोशिश कर सकता है। गलती करना जीवन के इम्तहान में फेल होना नहीं, बल्कि सफलता (success) की दिशा में बढ़ाया गया एक कदम होता है।
एक सिक्के के पहलू
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सफलता (success) और असफलता दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू होते हैं, लेकिन प्रतिस्पर्धाओं से भरी इस दुनिया में हर किसी को सिर्फ उसकी सफलताओं (success) से मापा जाता है। कुछ हासिल कर लेना ही वह मापदंड है, जिससे किसी की सफलता (success) मापी जाती है। सफलता (success) को इतना बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जाता है, कि असफलता लोगों को नाखुश करने लगती है। इससे असफल लोगों का आत्मविश्वास (self confidence) कम हो जाता है। सफलता (success) का यह निजी अर्थ लोगों के दिमाग में जितना मजबूत होता है, उतना ही असफलता उन्हें परेशान करने लगती है।
आखिर क्यों डरते हैं लोग ?
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अक्सर लोग असफलता को नकारात्मक ढंग से परिभाषित करते हैं, क्योंकि उन्होंने हमेशा यही देखा है कि असफल लोगों को समाज में स्वीकार नहीं किया जाता। इसे संभावनाओं या अवसरों की राह में बाधा माना जाता है। लिहाजा असफलता हमेशा भयग्रस्त और बेचैन कर देती है। मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि हमारे मन में जब खोने का भाव हावी हो जाता है तो असफलता का भय सताने लगता है। जिससे आप सफलता (success) से दूर होते चले जाते है। इसलिए असफलता के डर को अंदर से निकाल कर अपने लक्ष्य को हासिल करने में जुट जाना चाहिए।
नजरिया असफलता के प्रति
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असफलता का डर बेहद कम उम्र से व्यक्ति के अवचेतन में आने लगता है। जैसे की स्कूल के दिनों में ही छात्रों को बताया जाने लगता है कि उसके ग्रेड का क्या महत्व है। जो छात्र औसत या कम नंबर लाते हैं, समाज ही नहीं, अपनी नजरों में भी वे खुद को कमतर समझने लगते हैं। दुर्भाग्य से इसी उम्र में अगर असफलता के प्रति एक स्वस्थ व सकारात्मक नजरिया (positive attitude) न अपनाया जाए तो भविष्य में यह उसी विश्वास को पुख्ता करने का काम करता है, कि कम नंबर लाने वाला सफल (success) नहीं है।
क्यों मिलती है "असफलता" ?
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आमतौर पर माना जाता है कि अनुभवहीनता, कौशल या संसाधनों की कमी के कारण किसी भी इंसान को असफलता मिलती है। कार्य का अनुभव नहीं हो, जरूरी संसाधनों और जरूरी कौशल की कमी हो, तो इस बात की बहुत संभावना है कि उस कार्य में असफलता मिले। इसके अलावा कई बार हमारा दिमाग ही संतुष्ट नहीं होता है , वह खुद से अधिक अपेक्षाएं रखता है। एक अपेक्षा पूरी होती है, तो दूसरी झट से अपेक्षा शुरू हो जाती है। कई बार दिमाग नकारात्मक ढंग से सोचता है, उसे लगता है कुछ भी अच्छा नहीं होगा।
अपनी क्षमताओं पर भरोसा नहीं होता। जब हम खुद से ही कभी संतुष्ट नहीं होंगे तो असफलता की यह भावना तो पैदा होगी ही। कई बार ऐसा भी पाया गया है कि रचनात्मक लोगों से अधिक गलतियां होती हैं। काम को त्रुटि रहित करने की कोशिश कई बार व्यक्ति की रचनात्मकता को ही मार देती है।
अपेक्षाओं का बोझ
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अपेक्षाएं किसी भी व्यक्ति को स्वयं का आकलन करने के योग्य बनाती हैं। ये वे मापदंड होते हैं, जिन पर व्यक्ति लगातार खुद को परखता रहता है। हम खुद से क्या चाहते हैं और हमें क्या मिला है, तुलना जब इन दो चीजों के बीच होती है ,तो कई बार हासिल का महत्व कम हो जाता है और जो नहीं मिला, उसका दर्द बढ़ जाता है। ऐसी अपेक्षाएं ही व्यक्ति को तनाव देती है। इसलिए अपने ऊपर बहुत ज्यादा अपेक्षाओं का बोझ न डालें। क्योकि तनाव मुक्त रहने से किसी भी कार्य में सफलता (success) पाने की उम्मीद बहुत ज्यादा हो जाती है।
आखिर क्या करें ?
सफलता (success) के लिए कोशिश न करने का मतलब है कि आपको खुद पर संदेह है। असफलता के इस भय से मुक्त होने के लिए आपको कुछ कदम उठाने पड़ते हैं।
1. सबसे पहले अपना लक्ष्य अच्छे से समझें। अपने काम को शुरू करने से पहले ही उसके लिए जरूरी संसाधन और जानकारियां जुटा लें। परिणाम के बारे में सोचेंगे तो लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पाएंगे ।
2. तब तक खुद को अपग्रेड करते रहें, जब तक कि यह महसूस नहीं होता कि अब आप पूरी तरह से सफलता (success) हासिल करने में सक्षम हैं। नकारात्मक ढंग से सोचने के बजाय केवल लक्ष्य की ओर बढ़ते रहें। अपनी पिछली सफलता (success) के बारे में सोचें कि वह कैसे मिली थी ? इस बार सफलता (success) कैसे मिल सकती है, इसकी रणनीति तैयार करें।
3. खुद पर भरोसा रखें। अगर असफलता मिले भी तो उसे एक अवसर की तरह देखें। उन कार्यों के बारे में सोचें, जिनमें कुछ प्रयासों के बाद आपको सफलता (success) हासिल हुई थी। ऐसे लोगों की कहानियां पढें, जिन्होंने हार नहीं मानी और उन्हें सफलता (success) भी मिली।
4. अगर साधारण नहीं बन सकते तो असाधारण बनें। दुनिया के असाधारण माने जाने वाले लोग भी पहले आम इंसान ही थे। फर्क सिर्फ यही है कि उन्होंने साधारण कार्यों को भी असाधारण ढंग से किया और इसमें उन्हें सफलता (success) मिली।
संशय का त्याग करें
आप जो भी फैसला लेंते है तो फिर उसके परिणामों के बारे में अच्छे से सोच लें। एक बार फैसला लेने के बाद फिर उसपर संशय न करें। अपने लिए गए फैसले पर भरोसा रखें और पूरी मेहनत के साथ उसे पाने का प्रयास करें। संशय आपके फैसले को अक्सर कमजोर बनाने का काम करता है , जिससे आपकी सफलता (success) आपसे दूर होती चली जाती है। इसलिए संदेह की आदत को छोड़ दें।
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