नतीजा नजरिए का (जैसा नजरिया, वैसा संसार) Jaisa Najariya, Waisa Sansar

इस संसार को देखने का सबका अपना-अपना नजरिया होता है। गुलाब के पौधे में किसी को उसके सुगन्धित और सुन्दर फुल नजर आते हैं तो किसी को कांटे ही कांटे नजर आते हैं। जैसा आपका नजरिया होगा, दुनिया आपको वैसी ही दिखेंगी और साथ ही ये संसार भी आपको वैसा ही देखेगी। 

ये नजरिया वैसे तो होती एक सामान्य सी चीज लेकिन हमारे जिंदगी में इसका बहुत बड़ा प्रभाव पड़ता है। एक जैसी परिस्थिति और वातावरण में रहने के बावजूद प्रत्येक का विचार अलग अलग हो जाता है। यह जो अंतर है, यही प्रत्येक के जीवन के नजरिये को प्रर्दशित करता है।

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इस संसार को हम अपने नजरिये से देखते हैं और यह संसार भी हमें हमारे नजरिये के हिसाब से देखता है। जैसी सोच वैसी दुनिया। जैसा हमारा विचार होगा, हमसे कर्म भी वैसे ही होंगे। हमारा नजरिया हमारे यश-अपयश, उन्नति-अवनति एवम् सम्मान-अपमान का आधार होता है। सफल होने के लिए सही नजरिया का होना उतना ही महत्वपूर्ण होता है, जितना की योग्यता का होना आवश्यक होता है।

महात्मा बुद्ध की आदत थी की वे हर बात अपने शिष्यों को तीन बार समझाते थे। उनके शिष्य आनंद ने बुद्ध जी से एक दिन पूछ ही लिया – आप एक ही बात को तीन बार क्यों दोहराते हैं? आनंद को समझाने के लिए बुद्ध जी ने कहा – आज की सभा में संन्यासियों के अलावा एक वेश्या और एक चोर भी थे। कल सुबह तुम इन तीनों (जिसमे एक वेश्या , एक चोर तथा एक सन्यासी होता है ) से पूछ लेना की कल गौतम बुद्ध ने सभा में आखिरी वचन कहे उनसे वो लोग क्या समझे ?

सुबह होते ही आनंद ने जो पहला संन्यासी दिखा उससे पूछा कि- कल रात बुद्ध ने जो आखिरी वचन कहे थे कि अपना-अपना काम करो, उन शब्दों से आपने क्या समझा? सन्यासी बोला - हमारा प्रतिदिन का काम है सोने से पहले ध्यान करना तो हम वही करते है। आनंद को उससे इसी उत्तर की आशा थी।  इसके बाद आनंद अब शहर की ओर चल पड़ा। आनंद सीधे चोर के घर पहुंचा और उससे भी वही सवाल पूछा। चोर ने कहा – मेरा काम तो चोरी करना है। कल रात मैंने इतना तगड़ा हाथ मारा की अब मुझे चोरी नहीं करनी पड़ेगी। आनंद को बड़ा आश्चर्य हुआ और वो वहां से वेश्या के घर की तरफ चल दिया।

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वेश्या के घर पहुंचते ही आनंद ने वही सवाल पूछा। वेश्या ने कहा – मेरा काम तो नाचना गाना है। कल भी मैंने वही किया। आनंद आश्चर्यचकित हो कर वहां से लौट गया। आनंद ने पूरी बात जाकर बुद्ध को बताई। बुद्ध बोले – इस संसार में जितने जीव हैं उतने ही दिमाग हैं। बात तो एक ही होती है पर हर आदमी अपनी समझ से उसके मतलब निकाल लेता है। इसका कोई उपाय नही है। ये संसार ही ऐसा है। किसी शायर ने कहा है_

"सोच को बदलो सितारे बदल जायेंगे, 

नज़र को बदलो नज़ारे बदल जायेंगे। 

कश्तियां बदलने की जरूरत नहीं होती, 

दिशाओं को बदलो किनारे बदल जायेंगे।।"

सोना एक मूल्यवान धातु है, पर अपने शुद्धतम स्वरूप में आने के लिए उसे तपना पड़ता है। नजरिए का विस्तार अध्ययन, मनन और स्वाध्याय से किया जा सकता है। नजरिए के प्रति चिंतन से व्यक्ति में कई प्रकार के गुणों का डेवलप होने लगता है और वह सफलता के रास्ते पर अग्रसर हो जाता है। जानकारों का कहना है कि ” समाज हमें बताता है कि हम क्या हैं और एकान्त हमें बताता है कि हमें कैसा होना चाहिए”।

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ये कहानी एक गाँव के दो भाइयों की है.....उनमे से एक नशीली दवाओं का आदी था और अपने परिवार के लोगो को अक्सर मारा पीटा करता था, जबकि दूसरा एक सफल व्यपारी था । वह समाज मे सम्मानित था और उसका एक अच्छा परिवार था। दोनो भाई एक ही माँ-बाप द्वारा पाले गए और एक ही माहौल में पले- बढे दो भाई थे लेकिन एक-दूसरे से इतने अलग कैसे हो गये।

पहले भाई से पूछा गया कि आप यह सब क्यों करते हैं? आप नशीली दवाओं के आदी हैं, शराबी हैं, अपने परिवार के लोगो को मारते पीटते हैं? आपको यह सब करने की प्रेरणा कहाँ से मिली है? उसने जवाब दिया,"मेरे पिता से, मेरे पिता नशीली दवाओं के आदी थे, शराबी थे और अपने परिवार के लोगो को पीटा करते थे। फिर आप मुझसे क्या बनने की उम्मीद करते है? उन्ही की वजहों से मैं ऐसा बन गया हूँ।" दूसरे भाई से पूछा गया,"आपके पिताजी एक शराबी इंसान थे लेकिन फिर भी आप सारे सही काम क्यों करते हैं? आपकी प्रेरणा का स्रोत क्या है?"

जरा सोचिए, उसने क्या कहा होगा। उसने कहा कि,"मैं जब छोटा था, तो अपने पिताजी को शराब के नशे में धुत, और सारे गलत काम करते हुए देखा करता था। मैंने उसी समय सोच लिया था कि मुझे उनके जैसा नही बनना है। जिसके कारण तब से लेकर आज तक मैने सिर्फ और सिर्फ अच्छे काम करने शुरू कर दिए ।"

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दोस्तों वीडियो के अंत में सिर्फ इतना ही कहना चाहूंगा कि यदि अपने जीवन परिवर्तन लाना है तो खुद के नजरिये पर विचार विमर्श करो और स्वयं के नजरिये को बदलो।  ाओंके जीवन में success और unsuccess बहुत हद तक आपके नजरिये पर निर्भर करता है। 

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