इन्सान की पहचान उसकी वाणी से होती है | Best Story for Kids in Hindi | Motivation for Kids | Parenting Tips

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कबीर दास जी का एक दोहा है कि - "ऐसी वाणी बोलिये मन का आप खोये, औरों को शीतल करै खुद भी शीतल होय। " जिसका मतलब आप अच्छी तरह से जानते है।  फिर भी यहाँ बताना चाहूंगा। ऐसी बोलचाल करें जिससे खुद को भी अच्छा लगे और दूसरे को भी अच्छा लगे।  आपके शब्द आपके काम को बनाते और बिगाड़ते है।  अच्छी वाणी आपके बिगड़े हुए काम को भी बनाने में कारगर सिद्ध होते है जबकि बुरे शब्द बने हुए काम को बिगड़ने के लिए काफी होते है। 

आपके शब्द रूप बाण आपकी छबि को दर्शाते है।  आप किस प्रवृति है व्यक्ति है ये आपकी वाणी से साफ साफ झलकता है। आपके शब्द ही आपकी परवरिश का दर्जा बताते है।  आपके शब्द आपको मिले संस्कार के बारे में बंया करते है।  इसलिए किसी से भी बात करें तो अपनी शैली को अच्छा बना कर ही रखें। 

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एक बार की बात है। एक राज्य का राजा था। उसे शिकार करने का बहुत ही शौक था। एक दिन वह राजा अपने सरदार और कुछ सैनिकों के साथ शिकार के लिए जंगल की ओर निकला। वह काफी दूर तक शिकार की खोज में चले गये। 

ज्यादा दूर तक चलने से सभी को प्यास लगने लगी। सभी ने जंगल में पानी खोजना शुरू किया। फिर एक सैनिक को रास्ते पर एक कुआं दिखाई दिया। सैनिक ने राजा को यह बताया कि वहां पर एक कुआं है, जहां से हम अपनी प्यास को शांत कर सकते हैं।

राजा ने उस सैनिक को आदेश दिया कि वहां से उसके लिए पानी लाएं। सैनिक राजा के आदेश की पालना करते हुए उस कुएं के पास गया। वहां पर सैनिक ने देखा कि एक नेत्रहीन वृद्ध व्यक्ति रास्ते से जाने वाले लोगों की जलसेवा कर रहा है। सैनिक उस नेत्रहीन वृद्ध व्यक्ति के पास गया और बोला “ऐ पनिहारे एक लोटा पानी दे, हमें कहीं आगे जाना हैं।”

ये सुनकर उस वृद्ध व्यक्ति ने जवाब दिया “यहां से चला जा मुर्ख, मैं ऐसे लोगों को पानी नहीं पिलाता।” ये सुनकर सैनिक तुरंत वहां से चला गया। ये बात सैनिक ने राजा के सरदार को जाकर बताई। फिर सरदार उस नेत्रहीन वृद्ध व्यक्ति के पास गया और कहा “ऐ बूढ़े, हमें प्यास लगी है, एक लौटा पानी दे।” ये सुनकर उस नेत्रहीन वृद्ध व्यक्ति ने फिर पानी पिलाने से मना कर दिया।

राजा की प्यास बढ़ती ही जा रही थी। राजा ने अपने सरदार से पानी के बारे में पूछा तो सरदार ने राजा से कहा कि उस कुएं पर एक नेत्रहीन व्यक्ति है जो पानी पीने से मना कर रहा है।

ये सुनकर राजा अपने सैनिक और सरदार के साथ उस नेत्रहीन वृद्ध व्यक्ति के पास जाता है और उस वृद्ध व्यक्ति से कहता है “बाबा जी, हमें बहुत प्यास लगी है, गला सुखा जा रहा है। यदि आप थोड़ा पानी पिला देंगे तो आपकी बहुत बड़ी कृपा होगी।”

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ये सुनकर उस नेत्रहीन व्यक्ति ने राजा से कहा “आप बैठिये, मैं आपको अभी जल पिलाता हूं।” फिर उस वृद्ध व्यक्ति ने सम्मानपूर्वक राजा को बैठाया और पानी पिलाया। पानी पीने के बाद राजा ने उस वृद्ध व्यक्ति से पूछा कि “आपको कैसे पता चला कि ये सैनिक व सरदार है और राजा मैं हूं।"

तो इसका जवाब उस वृद्ध व्यक्ति ने बहुत ही अच्छे शब्दों में दिया। वृद्ध व्यक्ति ने कहा “इन्सान की पहचान करने के लिए आंखों की जरूरत नहीं होती, उसकी वाणी ही उसकी असली पहचान होती है।”

ये सुनकर वहां पर मौजूद सरदार व उस सैनिक को शर्म महसूस हुई।

दोस्तों अपनी बोलने की शैली को अच्छा रखें कही ऐसा न हो कि आपको भी इसी तरह की शर्मिंदगी का सामना करना पड़ें। कद या पद में बड़ा होना बड़ी बात नहीं जब तक कि आप आपने वाणी से बड़े नहीं बनते है।  सदैव आपको अपने शब्दो को सोचकर ही दूसरों के ऊपर प्रयोग करें।  ये शब्द आपके ऊपर वापस भी लौट कर आते है। 


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